Lekhika Ranchi

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लोककथा संग्रह



ईश्वर बड़ा है: आंध्र प्रदेश की लोक कथा

बहुत समय पहले की बात है। किसी नगर में एक भिखारी रहता था। सुबह होते ही अपना चोगा और कमंडल तैयार करता तथा निकल पड़ता। वह हर दरवाजे पर जाकर एक ही आवाज लगाता-

'देने वाला श्री भगवान, हम सब हैं उसकी संतान।'

भिखारी का नाम था 'कृपाल'। उसे जो कुछ भी मिल जाता, वह उसी से संतुष्ट हो जाता। उसका एक मित्र जगन्नाथ भी भीख माँगता था। वह दरवाजे पर जाकर हाँक लगाता-

'देने वाला है महाराज, यही दिलवाएगा भोजन आज।'

कृपाल और जगन्नाथ भीख माँगने के लिए राजा के महल में भी जाते थे। राजा प्राय: दोनों की आवाज सुनता था। वह दोनों को ही भीख देता था किंतु वह आजमाना चाहता था कि दोनों में से किसकी बात सच हैं? इंसान को सब कुछ देना, भगवान के हाथ में है या महाराज के हाथ में है?

एक दिन महाराज ने एक तरकीब निकाली। उन्होंने एक बड़ा-सा पपीता लिया । उसका एक टुकड़ा काटकर उसके भीतर सोने के सिक्के भर दिए। टुकडे को ज्यों का त्यों जोड़ दिया। तभी कृपाल भीख माँगने आ पहुँचा।

राजा ने उसे दाल-चावल दिलवाकर विदा किया। जगन्नाथ खंजड़ी बजाता आया और हाँक लगाई-

'देने वाला है महाराज, वही दिलवाएगा भोजन आज।'

महाराज ने सिक्‍कों से भरा हुआ वह पपीता उसके हवाले कर दिया। जगन्नाथ ने वह पपीता दो आने में एक सब्जी वाले की दुकान पर बेच दिया। मिले हुए पैसों से उसने भोजन का जुगाड़ कर लिया। भला पपीता उसके किस काम आता?

थोड़ी देर बाद कृपाल सब्जी वाले की दुकान के आगे से निकला। उसने मीठी आवाज में अपनी बात दोहराई। सब्जी वाले ने वह पपीता उसे दे दिया। कृपाल उसे दुआएँ देता हुआ घर लौट आया।

घर आकर उसने पपीता काटा तो सिक्के देखकर वह आश्चर्यचकित हो उठा। उसने तुरंत सिक्के उठाए और सब्जी वाले के पास पहुँच गया। उसके सिक्‍के देकर कहा, 'भाई, यह तुम्हारे पपीते में से निकले हैं। इन पैसों से मेरा कोई लेना-देना नहीं है।'

सब्जी वाला भी ईमानदार था। वह बोला, 'यह पपीता तो मुझे जगन्नाथ बेच गया था। तब तो यह सिक्‍के भी उसी के हैं।'

जगन्नाथ ने सिक्के देखकर कहा, 'ये तो महाराज के हैं। वह पपीता मुझे भीख में वहीं से मिला था।'

महाराज तीनों व्यक्तियों और सिक्कों को देखकर हैरान हो गए। सारी कहानी सुनकर उन्हें विश्वास हो गया कि इंसान को ईश्वर पर ही विश्वास करना चाहिए। वही सबको देने वाला है। राजा ने तीनों को यथायोग्य उपहार देकर विदा किया। हाँ, उसी दिन से कृपाल के साथ-साथ जगन्नाथ भी कहने लगा-

'देने वाला श्री भगवान, हम सब उसकी हैं संतान'

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क्रेडिट ःःरचना भोला यामिनी

साभारः लोककथाओं से संकलित।

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2 Comments

Farhat

25-Nov-2021 03:02 AM

Good

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Fiza Tanvi

13-Nov-2021 02:59 PM

Good

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